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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 6: युद्ध काण्ड
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सर्ग 125: हनुमान्जी का निषादराज गुह तथा भरतजी को श्रीराम के आगमन की सूचना देना और प्रसन्न हुए भरत का उन्हें उपहार देने की घोषणा करना
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श्लोक 19
श्लोक
6.125.19
इति प्रतिसमादिष्टो हनूमान् मारुतात्मज:।
मानुषं धारयन् रूपमयोध्यां त्वरितो ययौ॥ १९॥
अनुवाद
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श्रीरघुनाथजी के आदेश मिलते ही हनुमानजी ने मानव का रूप धारण किया और अयोध्या की ओर तेजी से चल दिये।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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