श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 125: हनुमान्जी का निषादराज गुह तथा भरतजी को श्रीराम के आगमन की सूचना देना और प्रसन्न हुए भरत का उन्हें उपहार देने की घोषणा करना  »  श्लोक 16
 
 
श्लोक  6.125.16 
 
 
सर्वकामसमृद्धं हि हस्त्यश्वरथसंकुलम्।
पितृपैतामहं राज्यं कस्य नावर्तयेन्मन:॥ १६॥
 
 
अनुवाद
 
  सर्व मनोकामनाओं से युक्त, हाथी, घोड़े और रथों से भरा हुआ और पूर्वजों से विरासत में मिला राजा ऐसा होता है तो किसके मन को विचलित नहीं कर देता है?॥ १६॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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