श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 120: श्रीराम के अनुरोध से इन्द्र का मरे हुए वानरों को जीवित करना, देवताओं का प्रस्थान और वानर सेना का विश्राम  »  श्लोक 20
 
 
श्लोक  6.120.20 
 
 
मैथिलीं सान्त्वयस्वैनामनुरक्तां यशस्विनीम्।
भ्रातरं भरतं पश्य त्वच्छोकाद् व्रतचारिणम्॥ २०॥
 
 
अनुवाद
 
  यह मिथिला कुमारी यशस्विनी सीता हमेशा आप पर अनुराग रखती हैं, आप उन्हें दिलासा दीजिए। आपके शोक से पीड़ित आपके भाई भरत व्रत कर रहे हैं, इसलिए जाकर उनसे मिलिए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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