श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 120: श्रीराम के अनुरोध से इन्द्र का मरे हुए वानरों को जीवित करना, देवताओं का प्रस्थान और वानर सेना का विश्राम  »  श्लोक 18-19
 
 
श्लोक  6.120.18-19 
 
 
बभूवुर्वानरा: सर्वे किं त्वेतदिति विस्मिता:।
काकुत्स्थं परिपूर्णार्थं दृष्ट्वा सर्वे सुरोत्तमा:॥ १८॥
अब्रुवन् परमप्रीता: स्तुत्वा रामं सलक्ष्मणम्।
गच्छायोध्यामितो राजन् विसर्जय च वानरान्॥ १९॥
 
 
अनुवाद
 
  सर्व वानरों को जीवित देखकर आश्चर्य हुआ, यह क्या हो गया? श्रीरामचंद्रजी को मनोरथ पूर्ण होते देखकर समस्त श्रेष्ठ देवता अत्यंत प्रसन्न हुए और लक्ष्मण सहित श्रीराम की स्तुति कर बोले - "राजन्! अब आप यहाँ से अयोध्या को पधारें और समस्त वानरों को विदा कर दें॥ १८-१९॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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