सर्व वानरों को जीवित देखकर आश्चर्य हुआ, यह क्या हो गया? श्रीरामचंद्रजी को मनोरथ पूर्ण होते देखकर समस्त श्रेष्ठ देवता अत्यंत प्रसन्न हुए और लक्ष्मण सहित श्रीराम की स्तुति कर बोले - "राजन्! अब आप यहाँ से अयोध्या को पधारें और समस्त वानरों को विदा कर दें॥ १८-१९॥