श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 120: श्रीराम के अनुरोध से इन्द्र का मरे हुए वानरों को जीवित करना, देवताओं का प्रस्थान और वानर सेना का विश्राम  »  श्लोक 17
 
 
श्लोक  6.120.17 
 
 
सव्रणै: प्रथमं गात्रैरिदानीं निर्व्रणै: समै:।
तत: समुत्थिता: सर्वे सुप्त्वेव हरिसत्तमा:॥ १७॥
 
 
अनुवाद
 
  इंद्र के ऐसा कहने पर वे सभी श्रेष्ठ वानर जिनके शरीर पहले घावों से भरे हुए थे, अब घावरहित हो गए और सभी सोकर जगे हुए की तरह अचानक उठकर खड़े हो गए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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