श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 119: महादेवजी की आज्ञा से श्रीराम और लक्ष्मण का विमान द्वारा आये हुए राजा दशरथ को प्रणाम करना और दशरथ का दोनों पुत्रों तथा सीता को आवश्यक संदेश दे इन्द्रलोक को जाना  »  श्लोक 36
 
 
श्लोक  6.119.36 
 
 
सुदुष्करमिदं पुत्रि तव चारित्रलक्षणम्।
कृतं यत् तेऽन्यनारीणां यशो ह्यभिभविष्यति॥ ३६॥
 
 
अनुवाद
 
  बेटी! तुम्हारे द्वारा किया गया यह अग्निप्रवेशरूप कार्य बहुत ही कठिन है। तुम्हारे इस कार्य से अन्य स्त्रियों का यश ढक जाएगा। तुम्हारा यह चरित्रलक्षण अत्यंत ही दुर्लभ है और यह अन्य महिलाओं के लिए अनुकरणीय है। तुम्हारा यह कर्म अन्य स्त्रियों के यश को भी पीछे छोड़ देगा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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