श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 119: महादेवजी की आज्ञा से श्रीराम और लक्ष्मण का विमान द्वारा आये हुए राजा दशरथ को प्रणाम करना और दशरथ का दोनों पुत्रों तथा सीता को आवश्यक संदेश दे इन्द्रलोक को जाना  »  श्लोक 29
 
 
श्लोक  6.119.29 
 
 
धर्मं प्राप्स्यसि धर्मज्ञ यशश्च विपुलं भुवि।
रामे प्रसन्ने स्वर्गं च महिमानं तथोत्तमम्॥ २९॥
 
 
अनुवाद
 
  धर्मज्ञ! भविष्य में भी तुम्हें धर्म का फल प्राप्त होगा और पृथ्वी पर तुम्हारा यश फैलेगा। भगवान राम की प्रसन्नता से तुम्हें श्रेष्ठ स्वर्ग और महान सम्मान प्राप्त होगा।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.