श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 118: मूर्तिमान् अग्निदेव का सीता को लेकर चिता से प्रकट होना और श्रीराम को समर्पित करके उनकी पवित्रता को प्रमाणित करना तथा श्रीराम का सीता को सहर्ष स्वीकार करना  »  श्लोक 8
 
 
श्लोक  6.118.8 
 
 
रुद्धा चान्त:पुरे गुप्ता त्वच्चित्ता त्वत्परायणा।
रक्षिता राक्षसीभिश्च घोराभिर्घोरबुद्धिभि:॥ ८॥
 
 
अनुवाद
 
  रावण ने उसे जबरदस्ती अंतःपुर में कैद कर लिया और पहरा बिठा दिया। भयानक विचारों वाली घोर राक्षसियाँ उसकी रखवाली करने लगीं। परन्तु भगवान में ही उसका मन लगा रहा। भगवान को ही वह अपना एकमात्र आश्रय मानती रही।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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