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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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सर्ग 117: भगवान् श्रीराम के पास देवताओं का आगमन तथा ब्रह्मा द्वारा उनकी भगवत्ता का प्रतिपादन एवं स्तवन
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श्लोक 25
श्लोक
6.117.25
संस्कारास्त्वभवन् वेदा नैतदस्ति त्वया विना।
जगत् सर्वं शरीरं ते स्थैर्यं ते वसुधातलम्॥ २५॥
अनुवाद
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वेद तुम्हारे संस्कार हैं। तुम्हारे बिना इस संसार का अस्तित्व ही नहीं है। सारा विश्व ही तुम्हारा शरीर है। पृथ्वी तुम्हारी स्थिरता है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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