श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 117: भगवान् श्रीराम के पास देवताओं का आगमन तथा ब्रह्मा द्वारा उनकी भगवत्ता का प्रतिपादन एवं स्तवन  »  श्लोक 24
 
 
श्लोक  6.117.24 
 
 
देवा रोमाणि गात्रेषु ब्रह्मणा निर्मिता: प्रभो।
निमेषस्ते स्मृता रात्रिरुन्मेषो दिवसस्तथा॥ २४॥
 
 
अनुवाद
 
  देवताओं की उत्पत्ति ब्रह्मा जी ने की और वे सभी आपके ही विराट शरीर में रोम हैं। आपकी आँखों का बन्द होना रात्रि और खुलना ही दिन है।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.