श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 116: सीता का श्रीराम को उपालम्भपूर्ण उत्तर देकर अपने सतीत्व की परीक्षा देने के लिये अग्नि में प्रवेश करना  »  श्लोक 34
 
 
श्लोक  6.116.34 
 
 
प्रचुक्रुशु: स्त्रिय: सर्वास्तां दृष्ट्वा हव्यवाहने।
पतन्तीं संस्कृतां मन्त्रैर्वसोर्धारामिवाध्वरे॥ ३४॥
 
 
अनुवाद
 
  सभी देवी-देवताओं को हवन में आहुति अर्पित की जाती है, ठीक उसी प्रकार जैसे मंत्रों से संस्कारित वसुधारा (घी की अनवरत धारा) की आहुति दी जाती है। इसी तरह, देवी सीता को दिव्य आभूषणों से सुशोभित देखकर जब वह अग्नि कुंड में गिरने लगीं, तब वहाँ उपस्थित सभी स्त्रियाँ चीख उठीं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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