वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 6: युद्ध काण्ड
»
सर्ग 116: सीता का श्रीराम को उपालम्भपूर्ण उत्तर देकर अपने सतीत्व की परीक्षा देने के लिये अग्नि में प्रवेश करना
»
श्लोक 26
श्लोक
6.116.26
यथा मां शुद्धचारित्रां दुष्टां जानाति राघव:।
तथा लोकस्य साक्षी मां सर्वत: पातु पावक:॥ २६॥
अनुवाद
play_arrowpause
राघव श्रीरघुनाथजी यह मानते हैं कि मेरा चरित्र शुद्ध नहीं है, जबकि मैं पूर्ण रूप से निर्दोष हूँ। यदि मैं सर्वथा पवित्र और निष्कलंक हूँ, तो समस्त संसार के साक्षी अग्निदेव मेरी चारों ओर से रक्षा करें।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.