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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 6: युद्ध काण्ड
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सर्ग 116: सीता का श्रीराम को उपालम्भपूर्ण उत्तर देकर अपने सतीत्व की परीक्षा देने के लिये अग्नि में प्रवेश करना
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श्लोक 17
श्लोक
6.116.17
इति ब्रुवन्ती रुदती बाष्पगद्गदभाषिणी।
उवाच लक्ष्मणं सीता दीनं ध्यानपरायणम्॥ १७॥
अनुवाद
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ऐसा कहकर सीता का गला भर आया। वे रोती हुई और आँसू बहाती हुई दुखी एवं चिंतित होकर बैठे हुए लक्ष्मण से कांपती हुई वाणी में बोलीं-।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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