श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 114: श्रीराम की आज्ञा से विभीषण का सीता को उनके समीप लाना और सीता का प्रियतम के मुखचन्द्र का दर्शन करना  »  श्लोक 35
 
 
श्लोक  6.114.35 
 
 
विस्मयाच्च प्रहर्षाच्च स्नेहाच्च पतिदेवता।
उदैक्षत मुखं भर्तु: सौम्यं सौम्यतरानना॥ ३५॥
 
 
अनुवाद
 
  सीताजी ने बड़ी ही विस्मय, हर्ष और प्यार से अपने पति भगवान श्री राम के मधुर मुख का दर्शन किया। उनके चेहरे पर एक अलौकिक सौम्यता और पवित्रता झलक रही थी।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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