श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 113: हनुमान्जी का सीताजी से बातचीत करके लौटना और उनका संदेश श्रीराम को सुनाना  »  श्लोक 53
 
 
श्लोक  6.113.53 
 
 
सपदि हरिवरस्ततो हनूमान्
प्रतिवचनं जनकेश्वरात्मजाया:।
कथितमकथयद् यथाक्रमेण
त्रिदशवरप्रतिमाय राघवाय॥ ५३॥
 
 
अनुवाद
 
  कपिराज हनुमान जी वहाँ से लौटकर त्रि-देवों के राजा इन्द्र के तुल्य तेजस्वी श्रीरघुनाथजी को जनकराज की किशोरी सीताजी का दिया हुआ उत्तर यथावत क्रम से सुनाया।
 
 
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये युद्धकाण्डे त्रयोदशाधिकशततम: सर्ग: ॥ १ १३॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके युद्धकाण्डमें एक सौ तेरहवाँ सर्ग पूरा हुआ ॥ १ १३॥
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.