श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 113: हनुमान्जी का सीताजी से बातचीत करके लौटना और उनका संदेश श्रीराम को सुनाना  »  श्लोक 5
 
 
श्लोक  6.113.5 
 
 
दृष्ट्वा तमागतं देवी हनूमन्तं महाबलम्।
तूष्णीमास्त तदा दृष्ट्वा स्मृत्वा हृष्टाभवत् तदा॥ ५॥
 
 
अनुवाद
 
  देखो, महाबली हनुमान जी को आते हुए देखकर देवी सीता उन्हें पहचानकर मन-ही-मन प्रसन्न हुईं। लेकिन वो कुछ बोल नहीं सकीं। वह चुपचाप बैठी रहीं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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