श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 113: हनुमान्जी का सीताजी से बातचीत करके लौटना और उनका संदेश श्रीराम को सुनाना  »  श्लोक 48
 
 
श्लोक  6.113.48 
 
 
युक्ता रामस्य भवती धर्मपत्नी गुणान्विता।
प्रतिसंदिश मां देवि गमिष्ये यत्र राघव:॥ ४८॥
 
 
अनुवाद
 
  देवी! आप श्रीराम की पवित्र धर्मपत्नी हैं, इसलिए आपके अंदर यह सद्गुण होना ही उचित है। अब आप मुझे अपनी ओर से कोई संदेश दीजिए। मैं श्रीरघुनाथजी के पास जाऊँगा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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