श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 113: हनुमान्जी का सीताजी से बातचीत करके लौटना और उनका संदेश श्रीराम को सुनाना  »  श्लोक 37-38h
 
 
श्लोक  6.113.37-38h 
 
 
इत्युक्ता सा हनुमता कृपणा दीनवत्सला॥ ३७॥
हनूमन्तमुवाचेदं चिन्तयित्वा विमृश्य च।
 
 
अनुवाद
 
  हनुमान जी के यह कहने के बाद, करुणा से भरे हृदय वाली और दीनों पर दया करने वाली सीता जी ने मन-ही-मन बहुत कुछ सोच-विचार करके उनसे इस प्रकार कहा -
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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