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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 6: युद्ध काण्ड
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सर्ग 113: हनुमान्जी का सीताजी से बातचीत करके लौटना और उनका संदेश श्रीराम को सुनाना
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श्लोक 33
श्लोक
6.113.33
विकृता विकृताकारा: क्रूरा: क्रूरकचेक्षणा:।
इच्छामि विविधैर्घातैर्हन्तुमेता: सुदारुणा:॥ ३३॥
अनुवाद
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‘ये सब-की-सब विकराल, विकट आकारवाली, क्रूर और अत्यन्त दारुण हैं। इनके नेत्रों और केशोंसे भी क्रूरता टपकती है। मैं तरह-तरहके आघातोंद्वारा इन सबका वध कर डालना चाहता हूँ॥ ३३॥
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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