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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 6: युद्ध काण्ड
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सर्ग 113: हनुमान्जी का सीताजी से बातचीत करके लौटना और उनका संदेश श्रीराम को सुनाना
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श्लोक 3
श्लोक
6.113.3
सम्प्रविश्य यथान्यायं सीताया विदितो हरि:।
ददर्श मृजया हीनां सातङ्कां रोहिणीमिव॥ ३॥
अनुवाद
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हनुमान जी अशोकवाटिका में प्रवेश करके विधिपूर्वक सीता जी को अपने आगमन की सूचना दी। उसके बाद उन्होंने पास जाकर उनका दर्शन किया। स्नानादि से रहित होने के कारण वे कुछ मैली दिख रही थीं और डरी हुई रोहिणी की तरह प्रतीत हो रही थीं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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