श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 111: मन्दोदरी का विलाप तथा रावण के शव का दाह-संस्कार  »  श्लोक 89-90h
 
 
श्लोक  6.111.89-90h 
 
 
किं ते न विदिता देवि लोकानां स्थितिरध्रुवा॥ ८९॥
दशाविभागपर्याये राज्ञां वै चञ्चला: श्रिय:।
 
 
अनुवाद
 
  महारानी! क्या आप यह नहीं जानतीं कि वक़्त के चक्र पर यह संसार निरंतर परिवर्तनशील है। समय और परिस्थितियाँ लगातार बदलती रहती हैं और राजाओं का वैभव अस्थिर है। दशाएँ बदलते ही उनके भाग्य का पहिया भी उलट सकता है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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