किं ते न विदिता देवि लोकानां स्थितिरध्रुवा॥ ८९॥
दशाविभागपर्याये राज्ञां वै चञ्चला: श्रिय:।
अनुवाद
महारानी! क्या आप यह नहीं जानतीं कि वक़्त के चक्र पर यह संसार निरंतर परिवर्तनशील है। समय और परिस्थितियाँ लगातार बदलती रहती हैं और राजाओं का वैभव अस्थिर है। दशाएँ बदलते ही उनके भाग्य का पहिया भी उलट सकता है।