हेत्वर्थयुक्तं विधिवच्छ्रेयस्करमदारुणम्।
विभीषणेनाभिहितं न कृतं हेतुमत् त्वया ॥ ७ ७॥
अनुवाद
विभीषण के कथन में तर्क और उद्देश्य दोनों थे। उन्होंने विधिपूर्वक उसे आपके सामने प्रस्तुत किया। वह न केवल कल्याणकारी था, बल्कि बहुत ही सौम्य भाषा में कहा गया था। लेकिन आपने उस युक्तियुक्त बात को भी नहीं माना।