श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 111: मन्दोदरी का विलाप तथा रावण के शव का दाह-संस्कार  »  श्लोक 76
 
 
श्लोक  6.111.76 
 
 
सुहृदां हितकामानां न श्रुतं वचनं त्वया।
भ्रातॄणां चैव कात्स्‍‍र्न्येन हितमुक्तं दशानन॥ ७६॥
 
 
अनुवाद
 
  रावण! हितैषी मित्रों और भाइयों ने जो आपसे हितकारी सलाह दी थीं, उन्हें आपने अनसुना कर दिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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