वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 6: युद्ध काण्ड
»
सर्ग 111: मन्दोदरी का विलाप तथा रावण के शव का दाह-संस्कार
»
श्लोक 76
श्लोक
6.111.76
सुहृदां हितकामानां न श्रुतं वचनं त्वया।
भ्रातॄणां चैव कात्स्र्न्येन हितमुक्तं दशानन॥ ७६॥
अनुवाद
play_arrowpause
रावण! हितैषी मित्रों और भाइयों ने जो आपसे हितकारी सलाह दी थीं, उन्हें आपने अनसुना कर दिया।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.