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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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श्लोक 74
श्लोक
6.111.74
नहि त्वं शोचितव्यो मे प्रख्यातबलपौरुष:।
स्त्रीस्वभावात् तु मे बुद्धि: कारुण्ये परिवर्तते॥ ७४॥
अनुवाद
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तुम अपने बल और पुरुषार्थ के लिए विख्यात थे, इसलिए तुम्हारे लिए शोक करना उचित नहीं है, परंतु स्त्री स्वभाव के कारण मेरे हृदय में दीनता आ गई है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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