श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 111: मन्दोदरी का विलाप तथा रावण के शव का दाह-संस्कार  »  श्लोक 68-69h
 
 
श्लोक  6.111.68-69h 
 
 
अपनीयाश्रमाद् रामं यन्मृगच्छद्मना त्वया॥ ६८॥
आनीता रामपत्नी सा अपनीय च लक्ष्मणम्।
 
 
अनुवाद
 
  मायावी मृग के बहाने से श्रीराम को आश्रम से दूर ले जाया गया और लक्ष्मण को भी अलग कर दिया गया। उसके बाद आप श्रीरामपत्नी सीता को चुराकर यहाँ ले आए; यह बहुत बड़ा कायरतापूर्ण कृत्य है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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