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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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सर्ग 111: मन्दोदरी का विलाप तथा रावण के शव का दाह-संस्कार
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श्लोक 53
श्लोक
6.111.53
धर्मव्यवस्थाभेत्तारं मायास्रष्टारमाहवे।
देवासुरनृकन्यानामाहर्तारं ततस्तत:॥ ५३॥
अनुवाद
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धर्म का विनाश करने वाला और युद्ध में मायाजाल रचने वाला था। इधर-उधर से देवों, असुरों और मनुष्यों की कन्याओं का हरण करता था।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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