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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 6: युद्ध काण्ड
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सर्ग 111: मन्दोदरी का विलाप तथा रावण के शव का दाह-संस्कार
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श्लोक 52
श्लोक
6.111.52
निवातकवचानां तु निग्रहीतारमाहवे।
नैकयज्ञविलोप्तारं त्रातारं स्वजनस्य च॥ ५२॥
अनुवाद
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आपने युद्ध के मैदान में निवातकवच नामक राक्षसों का संहार किया और कई यज्ञों को विफल कर दिया। आपने हमेशा अपने प्रियजनों की रक्षा की।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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