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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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सर्ग 111: मन्दोदरी का विलाप तथा रावण के शव का दाह-संस्कार
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श्लोक 50
श्लोक
6.111.50
लोकक्षोभयितारं च साधुभूतविदारणम्।
ओजसा दृप्तवाक्यानां वक्तारं रिपुसंनिधौ॥ ५०॥
अनुवाद
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"तुमने समूचे संसार को अशांत कर डाला, साधु पुरुषों पर अत्याचार किए और युद्ध में शत्रुओं के सामने घमंडपूर्ण वक्तव्य दिए।"
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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