श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 111: मन्दोदरी का विलाप तथा रावण के शव का दाह-संस्कार  »  श्लोक 28
 
 
श्लोक  6.111.28 
 
 
न कुलेन न रूपेण न दाक्षिण्येन मैथिली।
मयाधिका वा तुल्या वा तत् तु मोहान्न बुद्धॺसे॥ २८॥
 
 
अनुवाद
 
  मिथिलेशकुमारी सीता न तो कुल में, न रूप में, न ही सौम्यता आदि गुणों में मुझसे बढ़कर हैं। वे मेरे बराबर भी नहीं हैं; परंतु आप मोहवश इस बात पर ध्यान नहीं देते थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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