न कुलेन न रूपेण न दाक्षिण्येन मैथिली।
मयाधिका वा तुल्या वा तत् तु मोहान्न बुद्धॺसे॥ २८॥
अनुवाद
मिथिलेशकुमारी सीता न तो कुल में, न रूप में, न ही सौम्यता आदि गुणों में मुझसे बढ़कर हैं। वे मेरे बराबर भी नहीं हैं; परंतु आप मोहवश इस बात पर ध्यान नहीं देते थे।