श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 111: मन्दोदरी का विलाप तथा रावण के शव का दाह-संस्कार  »  श्लोक 25
 
 
श्लोक  6.111.25 
 
 
अवश्यमेव लभते फलं पापस्य कर्मण:।
भर्त: पर्यागते काले कर्ता नास्त्यत्र संशय:॥ २५॥
 
 
अनुवाद
 
  प्राणवल्लभ! इसमें कोई शक नही कि समय आने पर कर्ता को उसके किए पाप कर्मो का फल अवश्य मिलेगा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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