प्रभो ! सीता जी तो सारे अंगों से सुंदर और शुभ लक्षणों से युक्त थीं, फिर उन्हें निर्जन वन में रहना पड़ा। आप छल से उन्हें दुःख में डालकर अपने पास ले आए। यह आपके लिए बहुत बड़ा कलंक है। मिथिला की राजकुमारी के साथ जिस कामना से आपने उनको प्राप्त करना चाहा था, वह तो आपको मिली नहीं। उल्टा, उस पतिव्रता देवी के तप से आप जलकर भस्म हो गए। निश्चित ही ऐसा ही हुआ है।