श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 111: मन्दोदरी का विलाप तथा रावण के शव का दाह-संस्कार  »  श्लोक 122
 
 
श्लोक  6.111.122 
 
 
गम्यतामिति ता: सर्वा विविशुर्नगरं तत:।
प्रविष्टासु पुरीं स्त्रीषु राक्षसेन्द्रो विभीषण:।
रामपार्श्वमुपागम्य समतिष्ठद् विनीतवत्॥ १२२॥
 
 
अनुवाद
 
  श्रीरामचन्द्रजी के आदेश पर विभीषण ने महल में चली जाने को कहा। यह सुनकर वे सारी स्त्रियाँ नगर में चली गयीं। सारी स्त्रियों के महल में प्रवेश कर जाने के बाद, राक्षसराज विभीषण श्रीरामचन्द्रजी के पास पहुँचे और विनीत भाव से उनके सामने खड़े हो गये।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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