श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 11: रावण और उसके सभासदों का सभाभवन में एकत्र होना  »  श्लोक 25-26
 
 
श्लोक  6.11.25-26 
 
 
मन्त्रिणश्च यथामुख्या निश्चितार्थेषु पण्डिता:।
अमात्याश्च गुणोपेता: सर्वज्ञा बुद्धिदर्शना:॥ २५॥
समीयुस्तत्र शतश: शूराश्च बहवस्तथा।
सभायां हेमवर्णायां सर्वार्थस्य सुखाय वै॥ २६॥
 
 
अनुवाद
 
  मन्त्रियों में से मुख्य मन्त्री विभिन्न विषयों के लिये समुचित सम्मति प्रदान करते थे और कर्तव्य-निर्णय में उनकी पाण्डित्यता स्पष्ट दिखाई देती थी। सचिवगण बुद्धिमान, सर्वज्ञ और सद्गुणों से सम्पन्न थे। उपमन्त्री भी गुणों से विभूषित थे और उनमें बुद्धि की प्रखरता थी। शूरवीरों की भी एक बड़ी संख्या थी जो सदैव कर्तव्य के लिये तत्पर रहते थे। ये सभी लोग सुवर्णिम सभा में उपस्थित थे और अर्थों के निश्चय के लिये तथा सुख प्राप्ति के उपायों पर विचार-विमर्श कर रहे थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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