मन्त्रियों में से मुख्य मन्त्री विभिन्न विषयों के लिये समुचित सम्मति प्रदान करते थे और कर्तव्य-निर्णय में उनकी पाण्डित्यता स्पष्ट दिखाई देती थी। सचिवगण बुद्धिमान, सर्वज्ञ और सद्गुणों से सम्पन्न थे। उपमन्त्री भी गुणों से विभूषित थे और उनमें बुद्धि की प्रखरता थी। शूरवीरों की भी एक बड़ी संख्या थी जो सदैव कर्तव्य के लिये तत्पर रहते थे। ये सभी लोग सुवर्णिम सभा में उपस्थित थे और अर्थों के निश्चय के लिये तथा सुख प्राप्ति के उपायों पर विचार-विमर्श कर रहे थे।