श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 109: विभीषण का विलाप और श्रीराम का उन्हें समझाकर रावण के अन्त्येष्टि संस्कार के लिये आदेश देना  »  श्लोक 20
 
 
श्लोक  6.109.20 
 
 
तमुक्तवाक्यं विक्रान्तं राजपुत्रं विभीषण:।
उवाच शोकसंतप्तो भ्रातुर्हितमनन्तरम्॥ २०॥
 
 
अनुवाद
 
  परम पराक्रमी राजकुमार श्रीराम के ऐसा कहने पर शोकसंतप्त हुए विभीषण ने उनसे अपने भाई रावण के लिए हितकर बातें कहीं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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