श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 108: श्रीराम के द्वारा रावण का वध  »  श्लोक 32
 
 
श्लोक  6.108.32 
 
 
तत: प्रजग्मु: प्रशमं मरुद‍्गणा
दिश: प्रसेदुर्विमलं नभोऽभवत्।
मही चकम्पे न च मारुतो ववौ
स्थिरप्रभश्चाप्यभवद् दिवाकर:॥ ३२॥
 
 
अनुवाद
 
  तदुपरांत देवताओं को अत्यधिक शांति प्राप्त हुई, चहुँ दिशाएँ प्रसन्न हो गईं - उनमें प्रकाश फैल गया, आकाश निर्मल हो गया, पृथ्वी का काँपना रुक गया, वायु स्वाभाविक गति से बहने लगी और सूर्य का प्रकाश भी स्थिर हो गया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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