श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 107: श्रीराम और रावण का घोर युद्ध  »  श्लोक 64
 
 
श्लोक  6.107.64 
 
 
तत् प्रवृत्तं महद् युद्धं तुमुलं रोमहर्षणम्।
अन्तरिक्षे च भूमौ च पुनश्च गिरिमूर्धनि॥ ६४॥
 
 
अनुवाद
 
  उस महायुद्ध ने एक भयंकर रूप धारण कर लिया था। उसे देखते ही रोंगटे खड़े हो जाते थे। वह युद्ध कभी आकाश में, कभी भूतल पर और कभी-कभी पर्वत की चोटी पर होता था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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