श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 107: श्रीराम और रावण का घोर युद्ध  »  श्लोक 63
 
 
श्लोक  6.107.63 
 
 
रावणोऽपि तत: क्रुद्धो रथस्थो राक्षसेश्वर:।
गदामुसलवर्षेण रामं प्रत्यर्दयद् रणे॥ ६३॥
 
 
अनुवाद
 
  तब रथ पर बैठे हुए राक्षसराज रावण ने भी कुपित होकर रणभूमि में श्रीराम पर गदा और मूसलों की बौछार कर उन्हें पीड़ित करना शुरू किया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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