मैंने जिन वाणों से खर, दूषण, मारीच का वध किया, क्रौंचवन में विराध और दंडकारण्य में कबंध को मृत्यु के घाट उतारा, साल वृक्ष और पर्वतों को विदीर्ण किया, वाली का अंत किया और समुद्र को भी क्षुब्ध कर दिया। संग्राम में कई बार परीक्षण से जिनकी अमोघता सिद्ध कर ली गई है, वे ही ये मेरे सब सायक आज रावण पर निस्तेज हो रहे हैं; उसका क्या कारण हो सकता है?