एवं तु तौ सुसंक्रुद्धौ चक्रतुर्युद्धमुत्तमम्।
मुहूर्तमभवद् युद्धं तुमुलं रोमहर्षणम्॥ २८॥
अनुवाद
दोनों योद्धा प्रचंड क्रोध से युद्ध करने लगे। दो घंटों तक वे मारक अस्त्रों से एक-दूसरे पर ऐसे प्रहार करते रहे जैसे कि बस अंत ही हो। उनका यह विनाशकारी युद्ध हमारे रौंगटे खड़े कर देता है।