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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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श्लोक 26
श्लोक
6.107.26
प्रायुध्येतामविच्छिन्नमस्यन्तौ सव्यदक्षिणम्।
चक्रतुश्च शरैर्घोरैर्निरुच्छ्वासमिवाम्बरम्॥ २६॥
अनुवाद
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ये दोनों योद्धा लगातार दाएँ और बाएँ हाथ से एक-दूसरे पर प्रहार कर रहे थे। उनके द्वारा छोड़े गए भयावह बाणों से आकाश ऐसा भर गया था मानो आकाश में साँस लेने की भी जगह न बची हो।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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