श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 106: रावण के रथ को देख श्रीराम का मातलि को सावधान करना, रावण की पराजय के सूचक उत्पातों तथा राम की विजय सूचित करनेवाले शुभ शकुनों का वर्णन  »  श्लोक 9-10
 
 
श्लोक  6.106.9-10 
 
 
मातले पश्य संरब्धमापतन्तं रथं रिपो:॥ ९॥
यथापसव्यं पतता वेगेन महता पुन:।
समरे हन्तुमात्मानं तथानेन कृता मति:॥ १०॥
 
 
अनुवाद
 
  ‘मातले! देखो, मेरे शत्रु रावणका रथ बड़े वेगसे आ रहा है। रावण जिस प्रकार प्रदक्षिणभावसे महान् वेगके साथ पुन: आ रहा है, उससे जान पड़ता है, इसने समर भूमिमें अपने वधका निश्चय कर लिया है॥ ९-१०॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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