श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 106: रावण के रथ को देख श्रीराम का मातलि को सावधान करना, रावण की पराजय के सूचक उत्पातों तथा राम की विजय सूचित करनेवाले शुभ शकुनों का वर्णन  »  श्लोक 30
 
 
श्लोक  6.106.30 
 
 
दिशश्च प्रदिश: सर्वा बभूवुस्तिमिरावृता:।
पांसुवर्षेण महता दुर्दर्शं च नभोऽभवत्॥ ३०॥
 
 
अनुवाद
 
  संपूर्ण दिशाएँ और उपदिशाएँ अंधकार से घिर गईं। धूल की भारी वर्षा के कारण आसमान दिखाई देना मुश्किल हो गया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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