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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 6: युद्ध काण्ड
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सर्ग 106: रावण के रथ को देख श्रीराम का मातलि को सावधान करना, रावण की पराजय के सूचक उत्पातों तथा राम की विजय सूचित करनेवाले शुभ शकुनों का वर्णन
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श्लोक 22
श्लोक
6.106.22
महद्गृध्रकुलं चास्य भ्रममाणं नभस्थले।
येन येन रथो याति तेन तेन प्रधावति॥ २२॥
अनुवाद
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जहाँ-जहाँ रावण का रथ चलता था, उसी दिशा में आकाश में उड़ते हुए गिद्धों का एक बड़ा समूह भी दौड़ता हुआ जाता था।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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