श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 106: रावण के रथ को देख श्रीराम का मातलि को सावधान करना, रावण की पराजय के सूचक उत्पातों तथा राम की विजय सूचित करनेवाले शुभ शकुनों का वर्णन  »  श्लोक 18
 
 
श्लोक  6.106.18 
 
 
शरांश्च सुमहावेगान् सूर्यरश्मिसमप्रभान्।
तदुपोढं महद् युद्धमन्योन्यवधकांक्षिणो:।
परस्पराभिमुखयोर्दृप्तयोरिव सिंहयो:॥ १८॥
 
 
अनुवाद
 
  इसके साथ ही सूर्य की किरणों की तरह प्रकाशित होने वाले, अत्यधिक वेग वाले बाणों का भी ग्रहण किया। उसके बाद एक-दूसरे का वध करने की इच्छा रखकर श्रीराम और रावण दोनों के बीच एक बहुत बड़ा युद्ध शुरू हो गया। दोनों अहंकार से भरे हुए दो सिंहों की तरह आमने-सामने डटे हुए थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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