श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 106: रावण के रथ को देख श्रीराम का मातलि को सावधान करना, रावण की पराजय के सूचक उत्पातों तथा राम की विजय सूचित करनेवाले शुभ शकुनों का वर्णन  »  श्लोक 13
 
 
श्लोक  6.106.13 
 
 
कामं न त्वं समाधेय: पुरंदररथोचित:।
युयुत्सुरहमेकाग्र: स्मारये त्वां न शिक्षये॥ १३॥
 
 
अनुवाद
 
  तुम पहले से ही देवराज इंद्र के रथ का संचालन करने में कुशल हो, इसलिए मुझे तुम्हें कुछ सिखाने की आवश्यकता नहीं है। मैं एकाग्रचित्त होकर युद्ध करना चाहता हूँ, इसलिए मैं तुम्हें तुम्हारे कर्तव्यों का स्मरण दिला रहा हूँ, न कि तुम्हें शिक्षा दे रहा हूँ।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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