श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 105: अगस्त्य मुनि का श्रीराम को विजय के लिये “आदित्यहृदय” के पाठ की सम्मति देना  »  श्लोक 3
 
 
श्लोक  6.105.3 
 
 
राम राम महाबाहो शृणु गुह्यं सनातनम्।
येन सर्वानरीन् वत्स समरे विजयिष्यसे॥ ३॥
 
 
अनुवाद
 
  राम राम महाबाहो! सुनो यह सनातन और रहस्यपूर्ण स्तोत्र है। वत्स! इसके जप से तुम युद्ध में अपने सभी शत्रुओं पर विजय पा जाओगे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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