जब हृदय की व्याकुलता के कारण रावण में युद्ध करने, धनुष खींचने और श्रीराम के पराक्रम का सामना करने की क्षमता नहीं रह गयी, और जब श्रीराम के शीघ्रता से चलाए गए बाण और विभिन्न प्रकार के शस्त्र उसकी मृत्यु का कारण बनने लगे और उसका मृत्यु का समय निकट आ गया, तब उसका रथचालक सारथी बिना घबराहट के उसके रथ को युद्ध के मैदान से निकाल कर दूर ले गया।