श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 102: इन्द्र के भेजे हुए रथ पर बैठकर श्रीराम का रावण के साथ युद्ध करना  »  श्लोक 8
 
 
श्लोक  6.102.8 
 
 
इत्युक्तो देवराजेन मातलिर्देवसारथि:।
प्रणम्य शिरसा देवं ततो वचनमब्रवीत्॥ ८॥
 
 
अनुवाद
 
  देवराज इन्द्र के ऐसा कहने पर देवों के सारथि मातलि ने अपना सिर झुकाकर उन्हें प्रणाम किया और फिर उन्होंने यह बात कही -
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.