‘सारथे! रघुकुलशिरोमणि श्रीरामचन्द्रजी पृथ्वी पर खड़े हैं। तुम मेरा रथ लेकर तुरंत उनके पास जाओ। भूतल पर पहुँचकर श्रीराम को पुकारो और कहो—"यह रथ देवराज ने आपकी सेवा में भेजा है।" इस प्रकार उन्हें रथ में बिठाकर तुम देवताओं के महान कल्याण का कार्य पूरा करो।’