श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 102: इन्द्र के भेजे हुए रथ पर बैठकर श्रीराम का रावण के साथ युद्ध करना  »  श्लोक 15
 
 
श्लोक  6.102.15 
 
 
इदमैन्द्रं महच्चापं कवचं चाग्निसंनिभम्।
शराश्चादित्यसंकाशा: शक्तिश्च विमला शिवा॥ १५॥
 
 
अनुवाद
 
  यह इन्द्र का विशाल और शक्तिशाली धनुष है। यह अग्नि के समान तेजस्वी कवच है। ये सूर्य के समान प्रकाशमान बाण हैं और यह कल्याणकारी व शुद्ध शक्ति है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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